क्या बिहार में टॉपरों का टेस्ट लेना सही है ?
अब तक शायद ही कभी ऐसा हुआ होगा ही की किसी परीक्षा के टॉप किये विद्यार्थियों को टेस्ट देना परा हो ? इससे ये तो समझ आ ही गया होगा की मीडिया कैसे मुद्दा बनाती है ! एक न्यूज़ चैनल के द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दे पाने पे , मीडिया में ऐसे खूब दिखाया गया ! और इसके बाद 14 टॉपरों को टेस्ट देने को कहा गया ! क्या इन्ही बच्चों ने सिर्फ नक़ल किया होगा ! रूबी राय तो टेस्ट देने आए ही नहीं ! रूबी राय इंटरमीडिएट कला टॉपर है ! कॉलेज के तरफ से कहा गया कि वो बीमार है। बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि रूबी पर कार्रवाई होगी। टेस्ट में सफल नहीं होने वाले विद्यार्थियों का रिजल्ट पुन: प्रकाशित किया जाएगा। आर्ट्स टॉपर ने रूबी ने पॉलिटिकल साइंस को प्रॉडिकलस साइंस बताया था। साथ ही कहा था कि इसमें खाना बनाने की पढ़ाई होती है। ऐसा ही हाल साइंस टॉपर सौरभ शाह का भी था। वह अपने विषय के बारे में बेसिक जानकारी नहीं दे पाया था । जिसके बाद मीडिया ने इस बात का मुद्दा बना दिया ! बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के एक्ट के अनुसार, घोषित परीक्षाफल को रद्द करने का प्रावधान नहीं है तो इस टेस्ट का मतलब क्या हुआ ?
सरकार अगर सही कदम उठाना चाहती तो , जिस परीक्षा केंद्र पर ऐसे विद्यार्थियों ने परीक्षा दिया है उसकी जाँच कराती, की वह नक़ल कैसे हुआ ! जब परीक्षा हो रही थी तब भी न्यूज़ चैनलों में परीक्षा में नक़ल की बात दिखे जा रही थी, तब तो सरकार और परीक्षा समिति ने कुछ नहीं किया !
ऐसा नहीं है की विद्यार्थियों को टेस्ट लेने से अगले बार से परीक्षा में नक़ल बंद हो जाएगी , अब नक़ल करने बाले थोड़े सचेत हो जाएंगे की कुछ प्रश्न के जवाब नहीं दिए जाये , जिससे तो ओ गलती से भी टॉप न कर सके और किसी झमेले में न फसे और प्रथम श्रेणी में पास हो के राज्य सरकार से जो पैसा मिलता है ओ भी मिल जाये !
