| December 5, 2024

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बिंदेश्वर पाठक को मरणोपरांत पद्म विभूषण, डॉ सीपी ठाकुर को पद्म भूषण

बिंदेश्वर पाठक को मरणोपरांत पद्म विभूषण, डॉ सीपी ठाकुर को पद्म भूषण

सुलभ शौचालय के जरिए पूरी दुनिया को स्वच्छता का संदेश देने वाले बिंदेश्वर पाठक को मरणोपरांत पद्म विभूषण दिया गया। कालाजार पर रिसर्च के लिए विख्यात डॉ सीपी ठाकुर को पद्म भूषण से नवाजा गया है। इनके अलावा बिहार की पॉँच विभूतियों को भी पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया है। शांति देवी पासवान एवं शिवम पासवान (पति पत्नी), टिकुली चित्रकार अशोक कुमार विश्वास, राम कुमार मल्लिक को कला के क्षेत्र में तथा सुरेंद्र किशोर को भाषा, शिक्षा तथा पत्रकारिता के क्षेत्र उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्मश्री दिया गया है।

बिंदेश्वर पाठक का जन्म बिहार के वैशाली जिले के रामपुर बाघेल गांव में 2 अप्रैल 1943 को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा गांव में ही हुई। इसके बाद वह बनारस चले गए और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद बिंदेश्वर पटना आ गए और यहां यूनिवर्सिटी से मास्टर और पीएचडी की डिग्री पूरी की। बिंदेश्वर पाठक को 1991 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें एनर्जी ग्लोब अवार्ड, गुड कार्पोरेट सिटिजन अवार्ड, डब्ल्यूएचओ पब्लिक हेल्थ कैपेन अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें गांधी शांति पुरस्कार भी मिल चुका है।

डॉ ठाकुर तीन बार लोकसभा जबकि दो बार राज्यसभा के सांसद रहे। अटल बिहारी वाजपेई मंत्रिमंडल में उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेवारी संभाली थी। बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर डॉ ठाकुर के कार्यकाल में पार्टी ने सबसे अधिक 91 सीटों पर जीत हासिल की थी।वृद्धावस्था के कारण इन दोनों वे राजनीति में अधिक सक्रिय नहीं है लेकिन पार्टी के विभिन्न फॉर्म या विशेष बैठकों में वे जरूर भाग लेते हैं। अभी भी वे हर रोज कुछ मरीजों का उपचार भी करते हैं गरीब मरीजों की वे निशुल्क उपचार करते हैँ। डॉ ठाकुर को 1982 में इंदिरा गांधी सरकार में पद्मश्री पुरस्कार दिया गया था। बचपन में डॉ ठाकुर खुद कालाजार की बीमारी की चपेट में आ गए थे। इस बीमारी पर शोध करने की प्रेरणा उन्होंने खुद से ही ली थी।

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