क्या करोना संकट के समय सांसद, विधायक, नगर पार्षद की कोई जिम्मेवारी नहीं
पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत भी करोना वायरस से लड़ रहा है। जिसमे देश के डॉक्टर्स, नर्सेस, सफाई कर्मचारी, पुलिस लगे हुए हैं। पर जिसे जनता सेवक कहा जाता हैं, हमारे जन प्रतिनिधि का कोई अता पता नहीं हैं। जब डॉक्टर्स, नर्सेस, सफाई कर्मचारी, पुलिस मास्क लगा के काम कर सकते हैं तो हमारे जन प्रतिनिधि क्यों नहीं?
छोटे से छोटे चुनाव में लाखो कड़ोरो खर्च करने बाले, मुसीबत के समय नज़र नहीं आ रहे। नगर निगम का पार्षद हमारे आस पास का ही रहने बाला होता हैं, पर इस समय कही नज़र नहीं आ रहा हैं।
सुशासन कुमार का दावा हैं की बिहार के हर कोने से पटना 6 घंटे में पहुंच सकते हैं। तो क्या हमारे विधायक पटना से अपने विधानसभा क्षेत्र में 6 घंटे में नहीं जा सकते क्या?
सांसदों की ये मज़बूरी समझ आती हैं की वह संसद सत्र के बीच हुए लॉक डाउन के कारण अपने लोक सभा में नहीं पहुंच सकते, पर उनके प्रतिनिधि तो सहायता कार्य कर ही सकते हैं।
चुनाव में पानी की तरह पैसा बहाने बाले, अगर इस मुसीबत के इस समय में जनता की मदद करते तो उन्हें चुनाव में पैसे बहाने की जरुरत नहीं पड़ती। ये लोग कम से कम अपने पैसे से मास्क तो बाँट ही सकते हैं। अगर एक नगर निगम / नगर परिषद या गांव में हमारे जन प्रतिनिधि के 10-15 वालंटियर लगे होते, जो हमारे जरुरत की चीजे पैसे ले के हमारे घर तक पहुचाते और गरीब लोग के खाने का प्रबंध करते तो काफी अच्छा होता। इससे सड़को पे सामान खरीदने की वेबजह भीड़ नहीं होती।
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