वशिष्ठ बाबू की उपेक्षा शिक्षा और स्वस्थ के प्रति बिहार सरकार की सच्चाई बताती है
विश्व विख्यात गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह लगभग एक महीने से में भर्ती थे और गुरूवार को उनका देहांत हो गया। इतने दिनों में सरकार के किसी सदस्य को इनकी याद नहीं आई। वशिष्ठ बाबू की अनदेखी ये बताती है की शिक्षा और स्वस्थ के प्रति बिहार सरकार कितनी लापरवाह है।
एक विधायक या मंत्री बीमार होता है तो उसका इलाज बड़े से बड़े प्राइवेट नर्सिंग होम में सरकारी खर्चे पे करवाया जाता है। पर एक इन्सान जिसने अपनी ज्ञान से पूरी दुनिया में बिहार का नाम रौशन किया, सरकार ने उनकी बीमारी में कोई मदद नहीं की।
सुबह साढ़े आठ बजे मौत के बाद पीएमसीएच ने शव वाहन उपलब्ध नहीं कराया। इसके कारण उन्हें भाई को शव के साथ दो घंटे तक अस्पताल परिसर में ही इंतजार करना पड़ा। काफी देर होने पर परिजन और कुछ लोग हंगामा करने लगे। जब मीडिया में खबर फैलने लगी तो डीएम कुमार रवि के निर्देश पर स्पेशल ट्रीटमेंट एंबुलेंस से उनका पार्थिव शरीर कुल्हड़िया कॉम्प्लेक्स पहुंचाया गया।
मृत्यु के बाद मुख्यमंत्री नितीश कुमार वशिष्ठ बाबू को श्रद्धांजलि देने पहुंचे और अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ करने की बात की । पर एक महीने से अस्पताल में भर्ती के लिए अच्छी स्वास्थ के लिए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाये।
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