पुराने नालंदा विश्वविद्यालय के वैभव की याद दिला रहा है, नया नालंदा विश्वविद्यालय
नालंदा विश्वविद्यालय के नए इमारतों को देखकर पुराने नालंदा विश्वविद्यालय की याद ताजा हो जाती है। नए नालंदा विश्वविद्यालय के नए इमारतों की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहीं हैं, जिले लोग खूब पसंद कर रहे हैं। तालाबो से घिरे हुए ओपन ऑडिटोरियम इसकी खूबसूरती को और निखरती है। एक बड़े ओपन ऑडिटोरियम के साथ सात छोटे ओपन ऑडिटोरिय बनाये गए है।
आज हमारी शिक्षा ले ही विश्व के टॉप शैक्षणिक संस्थापनों में शामिल न हो, लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब यह देश विश्व में शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। भारत में ही दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय खुला था, जिसे हम नालंदा विश्वविद्यालय के नाम से जानते हैं। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई. में हुई थी। नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केंद्र था। नालंदा विश्वविद्यालय के अलाबा विक्रमशिला और तक्षशिला विश्वविद्यालय का लोहा दुनिया मानती थी और दुनिया भर के विद्यार्थी यहाँ पढ़ने के लिए आते थे।
पुराने नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में कुछ रोचक तथ्य –
1. नालंदा विश्वविद्यालय स्थापत्य कला का एक अद्भुत नमूना है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस विश्वविद्यालय में 300 कमरे 7 बड़े-बड़े कक्ष और अध्ययन के लिए 9 मंजिला एक विशाल पुस्तकालय था। जिसमें, एक समय 3 लाख से भी अधिक किताबें मौजूद होती थीं।
2. नालंदा को तक्षशिला के बाद दुनिया का दूसरा सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माना जाता है। वहीं, आवासीय परिसर के तौर पर यह पहला विश्वविद्यालय है, यह 800 साल तक अस्तित्व में रहा।
3. इस विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों का चयन मेरिट के आधार पर होता था और यहां छात्रों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती थी। इसके साथ उनका रहना और खाना भी पूरी तरह निःशुल्क होता था।
4. इस विश्वविद्यालय में एक समय में 10 हजार से ज्यादा विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते थे और 2700 से ज्यादा अध्यापक उन्हें शिक्षा देते थे।
5. नालंदा में सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया समेत कई दूसरे देशो के छात्र भी पढ़ाई के लिए आते थे।
6. नालंदा की स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के शासक सम्राट कुमारगुप्त ने की थी। इसे महान सम्राट हर्षवर्द्धन और पाल शासकों का भी संरक्षण मिला। नालंदा में खुदाई के दौरान ऐसी कई मुद्राएं भी मिली हैं, जिससे इस बात की पुष्टि भी होती है।
7. इस विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य ध्यान और आध्यात्म के लिए एक स्थान बनाने से था। ऐसा भी कहा जाता है कि गौतम बुद्ध ने कई बार यहां की यात्रा की और यहां पर श्रक कर ध्यान लगाया।
8. इतिहास के अनुसार नालंदा विश्वविद्यालय में एक ‘धर्म गूंज’ नाम की एक लाइब्रेरी थी। इसका मतलब ‘सत्य का पर्वत’ से था। लाइब्रेरी के 9 मंजिलों में तीन भाग थे, जिनके नाम ‘रत्नरंजक’, ‘रत्नोदधि’, और ‘रत्नसागर’ थे।
9. नालंदा में छात्रों को लिटरेचर, एस्ट्रोलॉजी, साइकोलॉजी, लॉ, एस्ट्रोनॉमी, साइंस, वारफेयर, इतिहास, मैथ्स, आर्किटेक्टर, लैंग्वेज साइंस, इकोनॉमिक, मेडिसिन समेत कई विषयों को पढ़ाया जाता था।
10. इस विश्वविद्यालय में कई महान विद्वानों ने पढ़ाई की थी, जिसमें मुख्य रूप से हर्षवर्धन, धर्मपाल, वसुबन्धु, धर्मकीर्ति, आर्यवेद, नागार्जुन का नाम शामिल हैं।
11. नालंदा यूनिवर्सिटी का इतिहास चीन के हेनसांग और इत्सिंग ने खोजा था। ये दोनों 7वीं शताब्दी में भारत आए थे। इन दोनों ने चीन लौटने के बाद नालंदा के बारे में विस्तार से लिखा और इसे विश्व का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय बताया।
12. इस विश्वविद्यालय की एक खास बात यह थी कि, यहां लोकतान्त्रिक प्रणाली से सभी कार्य होता था। कोई भी फैसला सभी की सहमति से लिया जाता था। मतलब, सन्यासियों के साथ टीचर्स और स्टूडेंट्स भी अपनी राय देते थे।
13. खुदाई के दौरान यहां 1.5 लाख वर्ग फीट में नालंदा यूनिवर्सिटी के अवशेष मिले हैं। ऐसा माना जाता है कि ये सिर्फ यूनिवर्सिटी का 10 प्रतिशत हिस्सा ही है।
14. नालंदा शब्द संस्कृत के तीन शब्द ना +आलम +दा के संधि-विच्छेद से बना है। इसका अर्थ ‘ज्ञान रूपी उपहार पर कोई प्रतिबंध न रखना’ से है।
15. नालंदा की तर्ज पर नई नालंदा यूनिवर्सिटी बिहार के राजगीर में बनाई गई है। इसे 25 नवंबर, 2010 को स्थापित किया गया।
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