कटाक्ष : नितीश कुमार की शराब निति करोना काल में सही साबित हो रही
देश में 40 दिन के बाद शराब की दूकान खुली। शराब के दीवाने लोग जिस तरह करोना वायरस के संक्रमण की परवाह न करते हुए, शराब के लिए भीड़ लगा के खड़े देखे गए। उससे तो यही लगता है की नितीश कुमार की शराब निति सबसे सही है।
लॉक डाउन में भी पहले की तरह बिहार में शराब की होम डिलीवरी उपलब्ध रही है। जिससे भीड़ लगने का कोई सवाल ही नहीं है। बिहार के लोग सोशल डिस्टन्सिंग का पालन करते हुए शराब का मज़ा ले रहे है। हाँ, ये बात जरूर है की थोड़ी मॅहगी मिल रही है। पुरे देश में शराब के लिए लम्बी – लम्बी कतारे देखी गई। सोशल डिस्टन्सिंग को दरकिनार करते हुए, अपने और अपने परिवार के जीवन की कोई चिंता नहीं थी।
दिन व दिन करना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। और जिस तरह शराब के लिए भीड़ देखी गई, अगर भीड़ में एक भी करोना संक्रमित हुआ तो हालत और बुरा हो सकता है।बिहारवासी खुश है की उन्हें घर बैठे शराब मिल जाता है। उन्हें इस करोना काल में भीड़ में जा के शराब लेने की जरुरत नहीं है।
ये बात भी थोड़ी अजीब है की जब लॉक डाउन के कारण सिर्फ जरुरी सामन के वाहन को ही चलने की छूट है तो बिहार के बाहर से शराब बिहार कैसे पहुंच रही है? ये सब देख के फिल्म रईस का वह दृश्य याद आता है। जिसमे शराब का अवैध धंधा करने बाले खुद ही कभी कभी शराब की ट्रक पकड़वा देते थे।
ऐसा नहीं की पुलिस इसपे कार्यवाही नहीं कर रही है। पुलिस हर दिन कई लोगो को पकड़ती है। हाँ ये अलग बात है की वही लोग पकडे जाते है जो गरीब परिवार से है। उनके पास इतना पैसा नहीं की पुलिस के द्रारा पकड़े जाने पे पैसा दे के छूट जाये। अभी लॉक डाउन के कारण न्यायालय बंद है, नहीं तो हर दिन 15-20 शराब पिने या शराब का कारोबार में पकड़े जाने के कारण न्यायालय लाये जाते है।
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