कोसी की बाढ़ से बचने को कितने तैयार है हम?
कोसी जिसे बिहार के शोक के नाम से भी जाना जाता है, कोसी की त्रासदी में कितने ही लोग अपने घर वार गवां देते है, जान माल का भी नुक्सान होता है! यह कोई एक साल की बात नहीं है, यह लगभग हर साल होता है, पर 2008 में कुछ ज्यादा भी भयानक बाढ़ थी, जिसमे सैकड़ो लोगो की जान गए और लाखो बेघर हो गये, जान माल की भी बहुत अधिक क्षति हुए थी!
हर साल बाढ़ नियंत्रण अधिकारियो की तरफ से ये व्यान आता है की बाढ़ से निपटने के लिए हम पूरी तरह से तैयार है! अधिकारी हमेशा कहते है, हमने तटबंध का निरिक्षण किया है, हम बाढ़ से बचने के लिए बिल्कुल तैयार है! पर बीते सालो में क्या हुआ, ये किसी से छुपा नहीं है! कोसी की त्रासदी से अररिया, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया और कटिहार जिला सबसे ज्यादा प्रभाभित होते है!
बाढ़ को रोकने के लिए भारत सरकार ने 1963 अपने खर्च पे नेपाल में कोसी नदी पे बाँध बनवाया था जिसे कोशी बैराज या भीमसागर बैराज के नाम से जाना जाता है! जब बाँध में पानी ज्यादा हो जाता है तो नेपाल सरकार बाँध से ज्यादा पानी छोड़ती है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है! नितीश कुमार कहते है की यह अंतर्राष्ट्रीय मामला है, भारत सरकार को इसका हल निकलना चाहिए!
अगर अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में शुरू हुए नदियों को जोड़ने की योजना पर काम कर लिया गया होता तो इससे कुछ बचाब संभव था, साथ की दूसरे इलाकों को पानी भी मिल जाता जिसका किसान सिचाई के लिए उपयोग कर सकते थे! पर अपने यहाँ केंद्र और राज्य के पेच के बीच के काम फस जाते है और इसका खामियाजा जनता को भुगतना परता है!
बाढ़ के समय नेताओं के हवाई दौरों और अधिकारियो के आस्वासन के अलाबा आम जनता को कुछ नहीं मिलता! केंद्र और राज्य सरकार जो मदद भेजती है उसका सिर्फ एक हिस्सा ही आम जनता तक पहुंचता है!
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